ऊँचे पहाड़
मैं ३ बरस की थी। एक सुबह मेरी मां ने मुझे उठाया। मुझे उठाकर वह एक ऊँचे पहाड़ पर आयी। अबतक भोर हो गया था। सुबह मुझे मेरी माता के गोद में अच्छा लग रहा था। सुरक्षित लग रहा था। मां मुझे लेकर नीचे बैठ गयी। उसने मेरे हाथ अच्छी तरह पकड़े रखे। एक बूढी औरत आयी। उसने एक जंग लगे हुए ब्लेड से मेरे दोनों पैरों के बीच प्रहार किया। कांटे और कौनसा तो धागा लेकर टाकेँ लगाएं। मैं जी-जान से रो रही थी। मैं मां के पास जा रही थी।
टर्निंग पॉइंट
वारिस डिरि
नौवीं कड़ी
प्रिय सदस्यों, हमें सम्बोधित करनेवाले वक्तित्व का मैंने अलग से परिचय करके देना अपेक्षित नहीं है। मैं आमंत्रित करता हूँ सुप्रसिद्ध मॉडल मिस वारिस देरी को।
मुझे संयुक्त राष्ट्रसभा में और सन्माननीय सदस्यों को सम्बोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। मैं यहाँ करोडो लड़की-महिलाओं का प्रतिनिधित्व करनेवाली हूँ, जिन्होने ‘खतना’ इस क्रूर रूढ़ि का सामना किया है। अब्राहमिक धर्मों में और मुख्यतः इस्लाम धर्म में ‘खतना’ स्त्री के जीवन का एक अत्यावश्यक विधि होता है। स्त्री व्यभिचारी न बनें, उसके पति के पहले स्पर्श तक वर्जिन रहें, इसलिए यह विधि है। कुछ ही महिलाऐं इस विधि के बाद ठीक तरह से जिंदगी जी सकती है।
बाद में हुए तालियों के आवाज से मैं सावध हुई। दबाव में आकर मैंने प्रारंभिक औपचारिकता कैसी पूर्ण की होगी, यह मुझे अब स्मरण भी नहीं है। मैंने मेरे भाषण को शुरुआत की। I love my mother, I love my family , I love Africa…
गत ३००० वर्षों से मेरे धार्मिक कुटुंब पर ऐसा एक विचार थोपा गया है, की जिस लड़की का खतना न हुआ हो, वह अपवित्र है। स्त्री के दोनों पैरों के बीच में जो कुछ है, वह अत्यंत अपवित्र है और वह निकाल देना अत्यंत आवश्यक है। वही उसके वर्जिन और पवित्र रहने का प्रतिक है। पहले रात को उसका पति ब्लेड अथवा तीक्ष्ण छुरी से वह खोलता है और ….
जिस लड़की का खतना न हुआ हो, वह विवाह नहीं कर सकती, उसे जाती से बहिष्कृत किया जाता है, उसका दर्जा एक वेश्या जैसा ही रहता है। हमारे धर्मग्रंथ में इसका स्पष्ट उल्लेख न रहने के बावजूद, यह प्रथा चालू ही है। स्त्री के मानसिक और शारीरिक स्वाथ्य पर इसका हमेशा के लिए परिणाम होता है, वही स्त्री जो अफ्रीका की रीढ़ है। सौभाग्य से या दुर्भाग्य से मैं जिन्दा रही, पर मेरे दो बहनों की इसी प्रथा के कारन मृत्यु हुई। अपना उपखण्ड अर्थहीन रूढ़ियाँ नष्ट करने के लिए उत्सुक है क्या? अपने में से एक व्यक्ति के बारे में जो होता है, उसका परिणाम हम सब पर होता है। बचपन में मैं कहती थी की मुझे स्त्री नहीं बनना है, क्योंकि स्त्री होना वेदनादायक और दुःखद है, पर अब मुझे मेरा अस्तित्व समझ में आया है। मैं जो हूँ उसका मुझे अभिमान है। केवल स्त्रीजाति के लिए ही नहीं तो सम्पूर्ण विश्व के लिए यह बदलना आवश्यक है। क्योंकि जिसकी वजह से मनुष्यत्व है, वह राखना भी आवश्यक है।
वारिस डिरि ९० के दशाकि की प्रसिद्ध मॉडल। मूलतः अफ्रीका खंड के सोमालिया देश की है।
इस भाषण के बाद मैं संयुक्त राष्ट्र की सद्भावना राजदूत बन गयी। १९९७ से ख़तनापीडित महिला-लड़कियों के लिए करना पड़नेवाला कार्य, इस कुप्रथा के विरुद्ध कानूनन झगडे के लिए मैंने मेरा उर्वरित जीवन समर्पित किया। इसके लिए मेरा मॉडलिंग का करियर छोड़ दिया।
मुझे बहुत लोग पूछते है, की तुम्हारे जीवन का टर्निंग पॉइंट कौनसा है?
सच में ,
मैं संयुक्त राष्ट्र की सद्भावना राजदूत हुई, वही दिन रहेगा ना ?
यही मेरे जिंदगी का टर्निंग पॉइंट रहेगा ना ?
मेरा उत्तर नहीं ऐसा है।
मुझे संयुक्त राष्ट्र की सभा में और सन्माननीय सदस्यों को सम्बोधित करने के लिए निमंत्रित किया गया अथवा मेरा प्रसिद्ध भाषण मेरे जिंदगी का टर्निंग पॉइंट रहेगा ना ?
मेरा उत्तर नहीं ऐसा है।
२० वे वरस की होते हुए रेगिस्तान के चरवाहे की लड़की से लेकर टॉप मोस्ट मॉडल तक का मेरा प्रवास, इस विषय पर आधारित मेरी मुलाकात BBC ने प्रसिद्ध की, यही मेरे जिंदगी का टर्निंग पॉइंट रहेगा ना ?
मेरा उत्तर नहीं ऐसा है।
एक कैफ़े में नौकरी करते समय, क्लीनिंग करते समय, प्रसिद्ध फोटोग्राफर माइक ग्रोसने मुझे पहली बार देखते ही मेरा फोटोजेनिक चेहरा, व्यक्तिमत्व उसे पसंद आया, और उसने मुझे मॉडलिंग के लिए आमंत्रित किया। मुझे उसने उसका कार्ड दिया।
वह प्रसंग मेरे जिंदगी का टर्निंग पॉइंट रहेगा ना ?
नहीं। वह भी नहीं। मैं मेरे उत्तर पर दृढ़ हूँ।
मैंने मेरी सहेली केन को उसके बॉयफ्रेंड के साथ देखा। उस हरकत से मुझे बहुत घृणा लगी। मैंने उसे कहा की “एक सभ्य स्त्री का यह बर्ताव नहीं हो सकता।” उसे जब आश्चर्य हुआ, तब मैंने मेरे साथ हुए खतना विधि क्या होता है, मेरे जानकारी में से हर एक स्त्री का यह विधि हुआ ही है, ऐसा बताया, तब दुःख के अतिरेक से वह स्वयं को सम्हाल नहीं पायी थी। “यह सब तूने कैसे सहा?”, केन ने पूछा। मैं अन्तर्मुख हुई।
एक बार ऐसेही हम बगीचे में बोल रहे थे, की मेरे पेट में दर्द होने लगा। केन मुझे डॉक्टर के पास ले गयी। मुझे देखने के बाद मुझे होनेवाली परेशानी का कारन मेरी हुई खतना है, और शस्त्रक्रिया इसका इलाज है, ऐसा डाक्टर का निष्कर्ष था। तब उन डाक्टर ने एक अफ्रीकन व्यक्ति को दुभाषिया के तौर पर बुलाया। वह ब्रदर होगा। डॉक्टर ने जो बताया वह तो उसने बताया ही, इसके आलावा, यह भी बताया की विवाह से पूर्व यह शस्त्रक्रिया करना कैसे धर्मबाह्य है। तूने तेरे मां-बाप के इज्जत के बारे में सोचना चाहिए। ऐसा कुछ मत करना, लोग तुम्हे वेश्या कहेंगे, आदि। मैं वहां से भाग निकली।
मेरे जीवन के भविष्य के बारे में सोचते समय मुझे ध्यान में आया की लोग क्या कहेंगे, मेरे धर्म में क्या कहा गया है, इसकी अपेक्षा मेरा आरोग्य महत्त्व नहीं रखता क्या ? यह दर्द मैं कितने दिन सहूँ? और मैं वापस गयी। डॉक्टर से शस्त्रक्रिया करवाके ली। यही घटना मेरे जीवन का टर्निंग पॉइंट रहेगा ना ?
नहीं। यह भी नहीं।
सोमालिया के गृहयुद्ध का सामना मुझे लन्दन में करना पड़ा । मुझे नौकरी के स्थान से मतलब राजदूत के घर से बहार निकाला गया। भूखे पेट के साथ रास्ते पर घुमते समय केन नामक एक सहृदय स्त्री ने मुझे आश्रय दिया, सहाय्य किया। एक सहेली ने जो कुछ करना चाहिए, वह सब केन ने मेरे लिए किया। यही बात मेरे जिंदगी का टर्निंग पॉईंट रहेगी ना?
मेरा उत्तर नही ऐसा ही है।
मेरे दादी ने मुझे सोमालिया देश छोड़कर लन्दन में राजदूत के पास नौकरी के लिए भेजा, मैंने मेरी पुराणी जिंदगी छोड़कर नए जीवन की उम्मीद लेकर गगन में छलांग लगायी, यह बात मेरे जिंदगी का टर्निंग पॉइंट रहेगी ना ?
मेरा उत्तर नहीं ऐसा ही है।
एक दिन जब मैं दस बरस की थी, तब मेरे पिता जी ने मुझे बताया, की इनके (एक बहुत बूढ़े आदमी) के साथ कल तुम्हारा विवाह होनेवाला है, तुम्हे इनकी चौथी पत्नी होने का सौभाग्य मिल रहा है। ५ ऊंट और कुछ बकरियों के बदले में मेरा विवाह निश्चित हो गया। मतलब मेरी विक्री ही हुई थी। मुझे यह कदापि मंजूर नहीं था। मेरे घर में सभी खुश थे। मेरी मां चुपचाप रो रही थी। उसने मेरे लिए कुछ भी नहीं किया। एक स्त्री रहते हुए भी उसने विरोध नहीं किया।
उसी रात अन्न-पानी के बिना, नंगे पैरों से बहुत दूर रहनेवाली मेरी दादी के पास, शहर में जाने का मैंने निश्चित किया। कितने ही दिन चलकर, पेड़ के पत्तों को ही अन्न समझ कर प्रवास किया। रास्ते में मुझपर कठिन प्रसंग आया। कैसे तो करके में दादी के पास पहुंची। यह घटना मेरी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट रहेगी ना?
पर मेरा उत्तर नहीं ऐसा ही है।
मैं ३ बरस की थी। एक सुबह मेरी मां ने मुझे उठाया। मुझे उठाकर वह एक ऊँचे पहाड़ पर आयी। अबतक भोर हो गया था। सुबह मुझे मेरी माता के गोद में अच्छा लग रहा था। सुरक्षित लग रहा था। मां मुझे लेकर नीचे बैठ गयी। उसने मेरे हाथ अच्छी तरह पकड़े रखे। एक बूढी औरत आयी। उसने एक जंग लगे हुए ब्लेड से मेरे दोनों पैरों के बीच प्रहार किया। कांटे और कौनसा तो धागा लेकर टाकेँ लगाएं। मैं जी-जान से रो रही थी। मैं मां के पास जा रही थी। मेरी मां यह समझा रही थी की, यह कैसे अच्छा है, हर स्त्री को यह करना पड़ता है, अपने यहाँ यह लिख कर रखा है। एक स्त्री रहते हुए भी वह मेरे साथ यह कैसे होने दे रही थी ? जिंदगीभर का दुःख कैसे दे रही थी ? तभी भी मैं उसी के पास जा रही थी।
मेरा खतना विधि था वह।
हाँ, यही मेरे जिंदगी का टर्निंग पॉइंट है।