असम प्रांत में बोड़ो उग्रवादियों के गढ़ सोणितपुर जिले की पुलिस अधीक्षक पद पर वर्ष २०१४ में संजुक्ता पराशर की नियुक्ति की गई थी। इस महिला पुलिस अधिकारी को पता था कि घने जंगलों से आच्छादित असम के इस क्षेत्र में आतंकवादियों से मुठभेड़ का सीधा अर्थ अपनी मृत्यु को आमंत्रण देना होगा। लेकिन आतंकवाद को समाप्त करने का संकल्प कर चुकी संयुक्ता जी ने अपने ३० महीनों के कार्यकाल में १६ उग्रवादियों को मुठभेड़ में मार गिराया तथा ६४ आतंकियों को गिरफ्तार किया।
वर्ष २००६ बैच की आई पी एस अधिकारी संजुक्ता पराशर का जन्म असम में हुआ था और प्रार्थमिक शिक्षा भी उन्होंने वहीं प्राप्त की थी। इन्होंने नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ महाविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक की पढ़ाई की फिर उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एम फिल व डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
वर्ष २००६ में लोकसेवा संघ आयोग की परीक्षा में ८५ वाँ स्थान पाने वाली संयुक्ता की पहली नियुक्ति २००८ में सहायक कमांडेंट पद पर माकुम में हुई। उनको बोडो एवं बांग्लादेशियों की घुसपैठ नियंत्रित करने के लिए भेजा गया था। वहाँ भारी मात्रा में आग्नेयास्त्र एवं गोला बारूद जब्त करके संयुक्ता ने
अपना सिक्का चला दिया। संजुक्ता को कई बार जान से मार देने की धमकी मिली पर वह डरी नहीं। आज स्थिति यह है कि उनके नाम से आतंकियों की रूह कांपती है।
अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर संजुक्ता जी आम जनता के हित में विभिन्न शिविरों का आयोजन भी करती हैं।