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रामायण मर्मज्ञ के. एस. नारायणाचार्य नहीं रहे

कन्नड़, तमिल एवं अंग्रेजी में रामायण एवं महाभारत पर प्रवचन देनेवाले प्रा. के एस नारायणाचार्य का आज शुक्रवार, दि. २६ नवंबर को निधन हो गया। वे ८८ वर्ष के थे।


वर्ष १९३३ में कनकपुर के एक वैष्णव परिवार में जन्मे के एस नारायणाचार्य भारतीय साहित्य एवं अध्यात्म के अधिकारी ज्ञाता थे। उन्होंने रामायण सहर्षी, वेदसमस्तकृत्या, गीतार्थरत्न निधि, रामायण पात्र प्रपंच, महाभारत पात्र प्रपंच,रामायणानंदा महा प्रसंगागलू, आदि ७० पुस्तकें लिखीं इसलिए उनको विद्वानमणि , वेदभूषण, वाल्मिकी, हृदयांजन रामायणाचार्य एवं महाभारताचार्य की उपाधि मिली थी। उन्होंने कन्नड, अंग्रेजी तथा तमिल भाषा में रामायण पर व्याख्यान दिये है । वर्ष २००८ में उनको कर्नाटक का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ कर्नाटक राज्योत्सव अवार्ड ‘ ,कर्नाटक राज्य साहित्य अकादमी अवार्ड, भी प्रदान किया गया था।
कन्नड भाषा में उन्होंने वेदासमस्क्रिथिया परिचया नामक सीरीज लिखी थी । नचिकेता विद्या, भगवान विष्णू, माता लक्ष्मी, भूमाता अलग अलग विषयोंपर आधारित दस खंड का समावेश रहे इस सीरीजके प्रथम खंड को १९७३ में कर्नाटक स्टेट साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया । कन्नड भाषा में उन्होंने रामायणा सहस्त्री सीरीज लिखी थी । पाच खंड की यह सीरीज थी । पुराणिक वेदिक और एपिक थिम्स पर उन्होंने अगस्थ्या, आचार्य चाणक्य, कृष्णावतारा आदि कन्नड भाषा में उपन्यास लिखे । भारतीय इतिहास पुराणागलू, तिरुप्पावाई, गोपिकागीतम,कन्नड़ में कॉमेंट्री के साथ भीष्म स्तुति , व्यास सुक्ति सुधा, महाभारत कला निर्णय आदि साहित्यिक लेखन भी उन्होंन कन्नड और अंग्रेजी में किया है ।

संस्कृत, इंग्लिश, तमिळ आणि कन्नड भाषा में मास्टरी हासिल किये प्रा. के एस नारायणाचार्य जी ने महाभारत, भगवद्‌गीता, भगवता, वेद पर देशभरमें अंग्रेजी , कन्नड, तमिल भाषा में हजारों व्याख्यान दिए है ।

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