नई दिल्ली, 04 फरवरी : राजपथपर गणतंत्र दिवस की परेड में उत्तर प्रदेश की झांसी को लगातार तिसरे वर्ष पहला पुरस्कार मिला है । इस बार की उत्तर प्रदेश की झांकी एक जिला एक उत्पाद और काशी विश्वनाथ धाम विषय पर आधारित थी।
इससे पहले भी २०२१ में उत्तर प्रदेश को पहला और २०२० में दुसरा स्थान मिला था । राजपथ पर उत्तर प्रदेश को लगातार तीन वर्षों तक गणतंत्र दिवस की परेड में सर्वश्रेष्ठ झांकी का पुरस्कार मिला है ।
उत्तर प्रदेश कि झांकी के अगले हिस्से में राज्य के ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ओडीओपी) योजना को दर्शाया गया, जो कौशल विकास कार्यक्रम के जरिए स्वदेशी उत्पादों, कला और हस्तशिल्प को संरक्षित, विकसित और बढ़ावा देने के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी पैदा करती है।
झांकी के पिछले भाग में काशी विश्वनाथ धाम की झलक दिखाई दी जिसमें प्राचीन वाराणसी शहर के गौरवशाली इतिहास और संस्कृति को भी प्रदर्शित किया गया। यह शहर वरुणा और अस्सी नदियों से मिलकर बना है। मोक्षदायिनी मां गंगा के पश्चिम तट पर बसी इस नगरी के हृदय में स्थित काशी विश्वनाथ धाम में भगवान विश्वेश्वर का ज्योर्तिलिंग प्रतिष्ठित है। परेड में काशी की संस्कृति के साथ ही नवीन बने काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर को भी दिखाया गया था । कोलकाता के कलाकारों की मदद से इस झांकी को २० दिनों में तैयार किया। इसमें प्रदेश के प्रत्येक जनपद के पारंपरिक शिल्प, बुनकर एवं हस्तशिल्प उत्पादों को भी दर्शाया गया। यूपी की इस इकोनॉमी को दिखाने के साथ ही इसमें राममंदिर की झलक का समावेश भी किया गया है। उत्तर प्रदेश की इस झांकी में मुख्य तौर पर बाबा विश्वनाथ धाम और बनारस के घाट पर की संस्कृति दिखी। गंगा में नहाते और पूजन करते साधु के दृश्य भी दिखाए गए ।
गणतंत्र दिवस परेड में शामिल की गईं सेनाओं, और केन्द्रीय मंत्रालयों की झांकियों और मार्चिंग दस्तों के लिए ऐलान किये गये पुरस्कारों में तीनों सेनाओं के मार्चिंग दस्ते में नौसेना को पहला पुरस्कार मिला है।
नौसेना के मार्चिंग दस्ते में 96 पुरुष, तीन प्लाटून कमांडर और एक आकस्मिक कमांडर शामिल हुए। दस्ते का नेतृत्व 5 साल से नौसेना में कार्यरत उत्तर प्रदेश में मेरठ निवासी लेफ्टिनेंट कमांडर आंचल शर्मा ने किया। चार साल में किसी महिला कमांडर को यह जिम्मेदारी मिली है। आंचल के पिता अम्बरीष कुमार सूबेदार मेजर के पद से रिटायर्ड हैं। अब वह शिक्षक हैं। आंचल के पति मयंक भी नौ सेना में लेफ्टिनेंट कमांडर हैं। नौसेना की झांकी में देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत (आईएसी) ‘विक्रांत’ को राजपथ पर दिखाया गया। झांकी के अगले हिस्से में 1946 के नौसेना विद्रोह को दर्शाया गया, जिसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। पिछले भाग में 1983 से 2021 तक भारतीय नौसेना की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को दर्शाया गया। भारतीय नौसेना की झांकी में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ का भी जिक्र किया गया।
परेड में बेहतर प्रदर्शन सीआईएसएफ का था । अर्द्ध सैनिक बलों के मार्चिंग दस्ते में सीआईएसएफ को पहले स्थान पर चुना गया है। बेहतरीन प्रदर्शन दिखाकर सीआईएसएफ की टुकड़ी ने एक बार फिर से बेस्ट मार्चिंग दल की ट्रॉफी अपने नाम की है। सीआईएसएफ ने इस परेड में पैरामिलिट्री और अन्य सहायक मार्चिंग दलों को पीछे छोड़ते हुए ट्रॉफी पर बाजी मारी है। इससे पहले भी सीआईएसएफ ने छह बार इस ट्रॉफी को अपने नाम किया था। इस तरह सातवीं बार भी सीआईएसफ ने बेस्ट मार्चिंग दल की ट्रॉफी का खिताब अपने नाम कर लिया है। इससे पहले २०२० की गणतंत्र दिवस परेड में सीआईएसफ को बेस्ट मार्चिंग दस्ते का पहला पुरस्कार मिला था।
गणतंत्र दिवस परेड में नौ केन्द्रीय मंत्रालयों की झांकियां भी शामिल हुईं जिसमें शिक्षा मंत्रालय और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की झांकियों में जबरदस्त मुकाबला रहा और दोनों मंत्रालयों की झांकियों को संयुक्त रूप से प्रथम स्थान पर चुना गया। शिक्षा मंत्रालय ने अपनी झांकी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ‘उड़ान-उड़े देश का आम नागरिक’ को दर्शाया। विशेष पुरस्कार आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (सीपीडब्ल्यूडी) को दिया गया है। सीपीडब्ल्यूडी की झांकी में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और आजाद हिंद फौज के योद्धाओं को दर्शाया गया। फूलों से सजी इस झांकी के किनारों पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ लिखा था। झांकी के सामने के हिस्से में सलाम करने की मुद्रा में बोस की आवक्ष प्रतिमा लगी हुई थी, जबकि आजाद हिंद फौज के नायकों को पुरानी तस्वीरों के माध्यम से एक ‘कियोस्क’ पर प्रदर्शित किया गया था। झांकी के बीच में कुछ सैनिक राष्ट्रीय ध्वज थामे नजर आए।