वैलेंटाइन डे नहीं, मातृ पितृ पूजन दिवस !
भारतीय संस्कृति का अनूठा दिन मातृ – पितृ पूजन दिवस १४ फरवरी को मनाया जाता है। उसपर इन दिनों पश्चिमी जीवन की दूषित शैली के कारण प्यार के प्रतीक के रूप में वैलेंटाइन डे मनाया जाता है।वेलेंटाइन डे पर प्रेमी प्रेमिका अपने प्रेम का इजहार करते है । इसे लेकर युवा वर्ग में काफी उत्साह रहता है। लेकिन वैलेंटाइन डे हमारी संस्कृति नहीं है, इसका हमें ध्यान रखना चाहिए। प्रेम, प्यार जताना ही है, तो हमें अपने माता-पिता के प्रति जताना चाहिए। माता, पिता एवं गुरुजनों का आदर करना हमारी संस्कृति की शोभा है। इसलिए बच्चों में माता-पिता के प्रति पूजा का भाव उत्पन्न होना बहुत ही आवश्यक है। वैलेंटाइन डे न मनाते हुए हमें युवाओं को हमारी संस्कृति की ओर लेकर जाना है। आज की तथा कल की पीढी के लिए यह अतिआवश्यक है ।
मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का उद्देश्य बच्चों के अंदर अपने माता- पिता के प्रति सम्मान, आदर एवं सांस्कृतिक मूल्यों को जागृत करना है। हमें पाश्चात्य संस्कृति से दूर रहकर अपने देश की संस्कृति व विचारों को जीवन में धारण करना चाहिए जिससे हमारा जीवन सार्थक हो सके। जन्म देने वाले ही हमारे सच्चे मार्गदर्शक होते हैं इसलिए माता-पिता के बताये हर रास्ते का अनुकरण करना चाहिए।
माता-पिता ने हमसे अधिक वर्ष संसार में बिताये हैं, उनका अनुभव हमसे अधिक है।उसकी तो हमारे छोटे अनुभव से तुलना ही नहीं हो सकती। माता-पिता के आदर से उनका अनुभव हमें सहज में ही मिलता है। अतः जो भी व्यक्ति अपनी उन्नति चाहता है, उस सज्जन को माता-पिता का आदर पूजन व आज्ञापालन तो करना ही चाहिए!
14 फरवरी को ʹवैलेंटाइन डेʹ मनाकर युवक-युवतियाँ वासना के दलदल में धंसते हैं। जिस समय में हमें शिक्षा प्राप्त कर स्वयं की, परिवार की तथा देश की उन्नति करनी चाहिए और प्रेमसंबंध के भँवर में न फँसकर हमें अपनी करियर पर ध्यान देना चाहिए। हमारी आज की पीढी को इस गलत रास्ते से दूर रखने की आवश्यकता है। इसलिए वैलेंटाइन डे के बजाए इस दिन मातृ-पितृ पूजन करने से वह पुण्य काम-विकार की बुराई व दुश्चरित्रता की दलदल से ऊपर उठाकर उज्ज्वल भविष्य, सच्चरित्रा, सदाचारी जीवन की ओर ले जायेगा। अनादिकाल से महापुरुषों ने अपने जीवन में माता-पिता और सदगुरु का आदर-सम्मान किया है। हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।हमारे महापुरुषों का अनुकरण करना चाहिए।
माता, पिता एवं गुरुजनों का आदर करना हमारी संस्कृति है, लेकिन लेकिन यह संस्कृति धीरे- धीरे लुप्त होती जा रही है।अपने बड़ों और माता पिता को सम्मान ना देना आज शायद चलन सा बन गया है। आज हम इतना पढ़ लिख लेते है, लेकिन बड़ों का आदर करना भूलते जा रहे है, यह बात बिलकुल उचित नहीं है।
यदि आज हम अपने माता पिता के साथ ऐसा व्यवहार करेंगे तो हमारी आने वाली भावी पीढ़ी का क्या होगा? वो भी तो वही करेगी जो हम से सीखेगी।
आज समय है बदलाव का। हमारे माता-पिता हमसे आग्रह नहीं करते कि संतानें उनका सम्मान-पूजन करें। परंतु बुद्धिमान, शिष्ट संतानें माता-पिता का आदर पूजन करके उनके शुभ संकल्पमय आशीर्वाद से लाभ उठाती हैं। वर्तमान समय में युवा वर्ग अपने माता-पिता का तिरस्कार कर उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं, साथ ही आज के युवा पाश्चात्य सभ्यता को अपनाते दिख रहे हैं। मगर मातृ- पितृ पूजन दिवस तथा इस तरह के पूजन के आयोजन से बच्चों में अपने माता -पिता के प्रति संस्कारों का सृजन होगा।
यदि आज बच्चे माता-पिता व गुरुजन का सम्मान करें तो उनके हृदय से विशेष मंगलकारी आशीर्वाद उभरेगा, जो देश के इन भावी पीढियों को ʹवैलेंटाइन डेʹ जैसे विकारों से बचाकर संयम व आत्मसामर्थ्य विकसित करने में मददरूप होगा। इसीलिए इस दिन अपने माता-पिता की विधिवत पूजा अर्चना करके, माता पिता से बच्चों को उनके उज्जवल भविष्य का आशीर्वाद लेना चाहिए।
विकसित और विकासशील देशों के बच्चों व युवाओं में किये गये सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ है कि भारतीय बच्चे, युवक सबसे अधिक सुखी और स्नेही पाये गये। लंदन व न्यूयार्क में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका एक बड़ा कारण है-भारतीय लोगों का पारिवारिक स्नेह एवं निष्ठा ! भारतीय युवाओं ने कहा कि ʹउनके जीवन में प्रसन्नता लाने तथा समस्याओं को सुलझाने में उनके माता-पिता का सर्वाधिक योगदान है।ʹ भारत में माता-पिता हर प्रकार से अपने बच्चों का पोषण करते हैं उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाना आवश्यक है। महान बनना सभी चाहते हैं, तरीके भी आसान हैं। बस, आपको चलना है। महापुरुषों के जीवन-चरित्र को आदर्श बनाकर आप सही कदम बढ़ायें, जरूर बढ़ायें। आपसे कइयों को उम्मीद है। हम सब आनेवाली युवा पीढी के उज्ज्वल भविष्य की अपेक्षा करते हैं। इसलिए 14 फरवरी ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस’ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाकर इसे व्यापक करना है।
विश्व मानव के मंगल के लिए 14 फरवरी को ईश्वर के नाते मातृ-पितृ पूजन दिवस यानि सच्चा प्रेम पर्व मनाये, एक दूसरे को प्रेम करके अपने दिल के परमेश्वर को छलकने दे|