पशुओं के चारा संकट से उभरने का उपाय:नेपियर घास
पशुचारे का संकट पूरे देश में है। लगभग 20 करोड़ पशुओं के सापेक्ष आधा चारा ही उपलब्ध है। केंद्र सरकार की समिति ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें बताया गया है कि देश में हरे चारे और भूसे का संकट है। नेपियर घास इस संकट का संकटमोचक बन सकता हैं।
क्या होती है नेपियर घास:
पशुपालकों को हरे चारे की सबसे ज्यादा परेशानी होती है, बरसीम, मक्का, ज्वार जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक ही हरा चारा मिलता है। लेकिन नेपियर घास इस समस्या को पांच से 10 साल तक के लिए यह समस्या खत्म कर देती है।
दरअसल नेपियर घास बाजरा की हाईब्रिड वैरायटी है। जो कि न केवल बंजर जमीन बल्कि खेतों की मेड़ों पर उगाई जा सकती है। केवल सिंचित करने की आवश्यकता है। नेपियर घास की रोपाई करने का यही सही समय है। यह घास बीस से पच्चीस दिन में तैयार हो जाती है। नेपियर घास का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 300 से 400 क्विंटल होता है। एक बार घास की कटाई करने के बाद उसकी शाखाएं पुनः फैलने लगती है।
नेपियर घास की खास बातें
नेपियर घास बाजरा की हाईब्रिड वैरायटी है। जो कि न केवल बंजर जमीन बल्कि खेतों की मेड़ों पर उगाई जा सकती है। केवल सिंचित करने की आवश्यकता है।
बरसात का समय नेपियर घास की रोपाई करने का सही समय है। यह घास बीस से पच्चीस दिन में तैयार हो जाती है।
नेपियर घास का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 300 से 400 क्विंटल होता है। एक बार घास की कटाई करने के बाद उसकी शाखाएं पुन: फैलने लगती है।
इस घास की खासियत यह है कि अगर आप इस घास को 1 बार लगाते है आने वाले 3 से 5 सालों तक हरे चारे की समस्या नहीं होगी।
इसकी 25 दिन के अंतराल में कटाई कर सकते है।
पहली बार इस घास को लगाने पर ये करीब 45 दिनों का समय लेती है तैयार होने में जबकि उसके बाद 25 दिन में ही तैयार हो जाती है और इसकी घास कटाई का चक्र चलता रहता है।
पशुओं के चारे के लिए नेपियर घास बहुत ही उपयुक्त माना जाता है. संकर नेपियर घास में क्रूड प्रोटीन 8-10 फीसदी, क्रूड रेशा 30 फीसदी और कैल्सियम 0.5 फीसदी होता है. इसके अलावा 16-20 फीसदी शुष्क पदार्थ, 60 फीसदी पाचन क्षमता और 3 फीसदी औक्सालेट वाला यह चारा है. इस चारे को दलहनी चारे के साथ मिला कर पशुओ को खिलाना चाहिए.