‘RIP’ और ‘ओम शांति’ के बीच फंसा आज का हिन्दू
लोग बिना कुछ सोचे समझे ही किसी के भी मरने पर RIP, RIP की रट लगा देते हैं खासकर फेसबुक ट्विटर या व्हाट्सएप ग्रुप में। दोस्तों शब्दों में धार्मिक भेदभाव तो नहीं किया जा सकता लेकिन,शांति से आराम करो उन लोगों के लिए अपनाया जाता है जिन्हें कब्र में दफनाया गया है क्योंकि अब्राहमिक रिलीजनों की मान्यताओं के अनुसार जब जजमेंट डे यानी कयामत का दिन आएगा तब सारे मृत जी उठेंगे| इस लिए अब्राहमिक रिलीजनों में कहते हैं कयामत के दिन तक शांति से इंतज़ार करो।
अब्राहमिक रिलीजनों के अनुयायी शरीर में यकीन रखते हैं मानना है कि कयामत के दिन फिर से जी उठेंगे लेकिन हिंदू इसके विपरीत पुनर्जन्म मे यकीन रखते हैं और आत्मा को अमर मानते हैं हिंदू धर्म के अनुसार शरीर नश्वर है यानी एक ना एक दिन इसे नष्ट होना ही है इसी वजह से शरीर को जला दिया जाता है। हिंदुओं का मानना है कि मरने के बाद शरीर से आत्मा ही निकल गई तो शरीर किस काम का नहीं है ।
‘संसार का कोई भी व्यक्ति हो, उसकी मृत्यु होनेपर उसके धर्म के अनुसार उसके लिए अंतिम कर्म करना, यह उस का अधिकार है !
यह किसके उद्गार हैं, यह आपको ज्ञात है ?
छत्रपति शिवाजी महाराज ने जब अफजलखान की आंतडियां बाहर निकालीं, तब उनके सैनिक मरे हुए अफजलखान के शरीर को जलाने हेतु ले चले । तब शिवाजी महाराज ने उसका विरोध किया । तब महाराज ने सभी से यह कहा, ‘‘जब अफजलखान मर गया, उसी क्षण उसके साथ हमारी शत्रुता भी समाप्त हुई । उसके मृत शरीर को जलाकर उसका अनादर न करो ।’’ मुसलमान धर्मशास्त्र के अनुसार शिवाजी महाराज ने अफजलखान को भूमि में दफनाकर मुसलमान परंपरा के अनुसार उसकी कब्र बनाई । छत्रपति महाराज कहते थे, ‘‘प्रत्येक मृत शरीर को उसके धर्म के अनुसार विदाई देनी चाहिए और यह प्रत्येक मृतक का अधिकार है ।’’
REST IN PEACE का अर्थ !
REST IN PEACE का अर्थ ‘शांति से लेटिए !’ ‘हे मृतात्मा, हमने तुम्हारे शरीर को भूमि में दफनाया है । अब कयामत के दिन उपरवाला तुम्हारे साथ न्याय करेगा; इसलिए अब तुम इस भूमि में शांति से लेटकर कयामत के दिन की प्रतिक्षा करो !’’ ये लोग ऐसा क्यों बोलते हैं ?; क्योंकि दफनानेवाले और जिसे दफनाया गया है, वह अपने जीवन में भी पुनर्जन्म नहीं मानते । उनका धर्म यह कहता है कि कयामत के दिनतक दफनाए जानेवाले की इस भूमि से मुक्ति नहीं है !’
हिन्दू धर्म के अनुसार मृत व्यक्ति को दफनाते नहीं, अपितु उसका दहन करते हैं । इस जन्म से जलाकर आत्मा को पुनर्जन्म के लिए मुक्त कर देते हैं ! तो हिन्दू उसे RIP कैसे कह सकते हैं ? क्योंकि हमारे धर्म में ‘आत्मा सद्गति को प्राप्त हुई !’, ऐसा कहते हैं । आत्मा मुक्त हुई । तो उसके अगले जन्म की यात्रा अच्छी हो’, ऐसा कहना चाहिए । हिन्दू आत्मा को बंद कर, बांध कर और दफनाकर नहीं रखते, अपितु उसे मुक्त करते हैं, मृतक व्यक्ति अगला जन्म लें इसलिए; परंतु अन्य धर्मी जो दफनाते हैं, वह ‘तुम भूमि में शांति से लेटे रहो’ और ‘कयामततक तुम्हें मुक्ति नहीं है ‘!
हम सब को गरुड़ पुराण अवश्य पढ़ना एवं सुनना चाहिए । वह मृत्यु के संदर्भ में है।‘मृतात्मा को सद्गति मिले’, यह प्रार्थना अवश्य करें !
हमें ‘भावपूर्ण श्रद्धांजली’ बोलना चाहिए । ‘ईश्वर मृतात्मा को सद्गति प्रदान करें’, ऐसा बोलना चाहिए । इसका अर्थ जो व्यक्ति मृत हुई है, उसे पुण्यगति प्राप्त हो और उसका अगला जन्म लेने की यात्रा निर्विघ्नरूप से संपन्न हो ! केवल इतना ही क्यों ? जब कोई सज्जन और पुण्यवान व्यक्ति मरता है, तब ‘ईश्वर उसे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त करें’, यह भी प्रार्थना की जा सकती है ।
भगवत गीता (मूल श्लोकः।।2.22।) में कहा गया है की,
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा
न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।
भावार्थ: मनुष्य जैसे पुराने कपड़ों को छोड़कर दूसरे नये कपड़े धारण कर लेता है ऐसे ही आत्मा पुराने शरीरों को छोड़कर दूसरे नये शरीर में चला जाता है।
गीता में यह भी कहा गया है कि,
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ॥ 2/23
भावार्थ: इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकता॥23॥
संसार के किसी भी वस्तु से हम आत्मा को छू भी नहीं सकते और ध्यान देने योग्य बात यह है कि जल वायु अग्नि तीनों ही देवता माने गए हैं| हिंदू धर्म के अनुसार मनुष्य अपने कर्मो के फल स्वरूप या तो मोक्ष प्राप्ति कर लेता है या फिर आत्मा नया शरीर को धारण कर लेती है |
ओम शांति।