पृथ्वीराज के हत्यारे की मजार पर हर वर्ष २०० करोड़ से अधिक राशि क्यों चढ़ाते हैं हिन्दू ?
अजमेर शरीफ के बदमाश खाबिन्द ( भाग २ )
अजमेर में स्थित उसकी दरगाह हत्याओं -बलात्कारों -छिनतई के लिए कुख्यात है। चिश्तियों के बलात्कार और ब्लैकमेलिंग और गैंग – रेप की शिकार अधिकतर स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियाँ थीं। इनमें से अधिकतर ने तो आत्महत्या कर ली। फारूक चिश्ती , नफीस चिश्ती ,अनवर चिश्ती इस तरह के कांडों में सुहैल के साथी थे। ये वही लोग थे, जिन पर सूफी फ़क़ीर कहे जाने वाले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह की देखरेख की जिम्मेदारी थी।
ये वही लोग थे, जो ख़ुद को चिश्ती का वंशज मानते हैं। जो जगह हिन्दुओं के लिए ‘घृणा स्थल’ होना चाहिए था वह ‘आस्था का केंद्र’ कैसे बना यह शोध का विषय है। अजमेरशरीफ जाकर चादर चढ़ानेवाले हिन्दू वहीँ लगाए गए उस बोर्ड पर ध्यान नहीं देते जिसपर लिखा है कि चिश्ती का काम ही इस्लाम के लिए जेहाद करना है।
राजेश झा
जिस मोइनुद्दीन चिश्ती की कब्र पर हिन्दू चादर एवं धन चढ़ाकर इस कथित सूफी की मजार को हर वर्ष २०० करोड़ रूपये से अधिक दान देकर आर्थिक रूप से सुदृढ़ करते हैं , उसने ७० वर्ष की आयु में एक हिन्दू की हत्या कर उसकी ५ -६ साल की बच्ची से जबरदस्ती निकाह किया था और कहा था कि मोहम्मद साहब ने उसको ऐसा करने का आदेश उसके सपने में आकर दिया है । यही नहीं उसके बारे में इतिहासकारों का कहना है कि पृथ्वीराज चौहान को जीवित पकड़वाने में इस तथाकथित सूफी मोइनुद्दीन चिश्ती की ही भूमिका थी। अजमेर में स्थित उसकी दरगाह हत्याओं -बलात्कारों -छिनतई के लिए कुख्यात है। जो जगह हिन्दुओं के लिए ‘घृणा स्थल’ होना चाहिए था वह ‘आस्था का केंद्र’ कैसे बना यह शोध का विषय है। हर हिन्दू को यह सच जानना चाहिए कि सूफियों की बड़ी और सक्रिय भूमिका हिन्दू समाज को समाप्त करने में रही है। ये लोग हिन्दुओं से पैसे लेकर उनकी हत्याओं का इंतजाम करते हैं।
सलमान -सफ़दर -गौहर जैसे बीसियों खूंखार चिश्ती हिन्दुओं की हत्या , हिन्दू महिलाओं से बलात्कार , हिन्दुओं की धनसम्पत्ति की लूट जैसे पचासों मामलों में नामजद हैं। उनका खौफ यह है कि प्रायः मजार पर गयी हिन्दू और विदेशी महिलाओं -बच्चियों के गायब हो जाने की शिकायतें पुलिस को मिलती रहती हैं। इस वर्ष फरवरी में कोटा में हुए पी एफ आई की बैठक में इस दरगाह के कई चिश्तियों ने भाग लिया था उसके बाद खुलकर हिन्दुओं पर अत्याचार की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। खेद का विषय है कि अजमेरशरीफ जाकर चादर चढ़ानेवाले हिन्दू वहीँ लगाए गए उस बोर्ड पर ध्यान नहीं देते जिसपर लिखा है कि चिश्ती का काम ही इस्लाम के लिए जेहाद करना है।
फरवरी 15, 2018 को पुलिस ने बलात्कार के मामले में मुख्य आरोपित सुहैल गनी चिश्ती को गिरफ़्तार किया। इस इस रेप-कांड की शिकार अधिकतर स्कूल और कॉलेज जाने वाली लड़कियाँ थीं। लोग कहते हैं कि इनमें से अधिकतर ने तो आत्महत्या कर ली। उसके साथ ही फारूक चिश्ती , नफीस चिश्ती ,अनवर चिश्ती इस तरह के कांडों में सुहैल के साथी थे। इन लोगों ने अक्टूबर 1992 में एक पत्रकार मैदान सिंह की हत्या कर दी गई थी, जो अजमेर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र ‘लहरों की बरखा’ का संचालन करते थे। हॉस्पिटल में घुस कर उन्हें मार डाला गया था। इस हत्याकांड के लिंक इसी सेक्स स्कैंडल से जुड़े थे। ये वही लोग थे, जिन पर सूफी फ़क़ीर कहे जाने वाले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह की देखरेख की जिम्मेदारी थी। ये वही लोग थे, जो ख़ुद को चिश्ती का वंशज मानते हैं। उन पर हाथ डालने से पहले प्रशासन को भी सोचना पड़ता। अंदरखाने में बाबुओं को ये बातें पता होने के बावजूद इस पर पर्दा पड़ा रहा।
उदयपुर- हत्याकांड का मास्टरमाइंड भी गौहर चिश्ती निकला जबकि एक अन्य खाबिन्द सलमान चिश्ती को नूपुर शर्मा की हत्या की सुपारी खुलेआम देने के कारण गिरफ्तार किया जा चुका है।अजमेर स्थित मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह ‘ हिंदुत्व तथा हिन्दुओं के हत्यारों ‘ की खान है। ये इतने मनबढ़ हो चुके हैं कि राजस्थान पुलिस भी उनके नाम से कांपती है और दरगाह का सबसे बड़ा मौलवी गद्दीनशीन जैनुल आबेदीन अली खान बिना वाई प्लस सुरक्षा के अपने बंगले से बाहर नहीं निकल पाता। जैनुल आबेदीन अली खान ने जब अपने बेटे नसीरुद्दीन को अपना उत्तराधिकारी बनाने के लिए औपचारिकताएं निभाने दरगाह का रुख किया तो चिश्तियों ने गोलियां चलायी थीं।
12वीं शताब्दी की इस दरगाह के कुछ खादिमों ने इसका विरोध भी किया। इन लोगों ने खान और चिश्ती को जन्नती दरवाजे से होकर मुख्य दरगाह में जाने से रोक दिया। खान अपने बेटे के साथ कुछ धार्मिक अनुष्ठान करना चाहते थे। एसपी राजेंद्र सिंह ने बताया कि दरगाह दीवान अली खान और खादिमों के बीच कुछ मुद्दे हैं। इसी को लेकर खान को अंदर जाने से रोका गया लेकिन पुलिस ने दखल देते हुए रविवार तड़के इस मामले को समझा-बुझाकर शांत किया। इसके बाद दरगाह दीवान अपने बेटे के साथ वापस लौट गए। इसके बाद खादिमों ने दरगाह के दरवाजे खोले और अन्य रस्में और कार्यक्रम पूरे किए गए।
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