राजनेताओं के कुर्सी-प्रेम से फैलती है ‘इस्लामी स्टेट’ की विषलता
बिहार इन दिनों पी एफ आई के आतंकियों की धर -पकड़ से चर्चा में है किन्तु किसी स्तर पर चर्चा बिहार के गृह सचिव पद पर कुंडली मारकर १४ वर्षों से बैठे उस वरिष्ठ आई ए एस अधिकारी अमीर सुबहांनी की नहीं हो रही जो अपनी छुट्टियां पाकिस्तान में मनता है और जिसके कारण अनेक मुस्लिम छात्र सरकारी छात्रवृतियों के साथ पाकिस्तान में पढ़ाई कर रहे हैं। बिहार में जब भी चुनाव होता है चुनाव आयोग कट्टर मुस्लिम आई ए एस अमीर सुबहानी को हटा देता है किन्तु जैसे ही नीतीश मुख्यमंत्री बनाते हैं वह कुख्यात अमीर गृह सचिव बन जाता है। पिछले लगभग १४ वर्षों से यही चल रहा है।
पीएफआई का काण्डकेंद्र उत्तर प्रदेश था। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार में पीएफआई सफल नहीं हो रहा। अतः सबसे आसान केंद्र उत्तर भारत में अब पीएफआई का बिहार है और मुख्य सचिव हैं बिहार के अमीर सुबहानी। पटना के फुलवारी शरीफ से पीएफआई का मिशन 2047 प्लान डॉक्यूमेंट मिलने पर पटना का एसएसपी इस पूरे मामले को बड़ी चतुराई से पीएफआई की तुलना आरएसएस से कर कर जनरलाइज कर देता है। मतलब सुबहानी ने पूरे सिस्टम को पीएफआई के लिए तैयार बना कर रखा है।
बिहार में आज पीएफआई के समर्थन में खुलेआम रैली निकल रही है , बकायदा बैनर पोस्टर के साथ। इसी से गजवा -ए -हिन्द के लिए अमीर सुबहानी की तैयारी का अंदाजा लगाया जा सकता है। आतंकवादी इशरत जहां को बेटी बताने वाले नीतीश कुमार बिहार के सीएम पद पर अपने चौथे कार्यकाल में चल रहे हैं। लगातार २० वर्ष तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना रहे हैं। इस रिकॉर्ड के चक्कर में वे इतने शिथिल हो चुके हैं कि राज्य और प्रकारांतर से देश को किस कदर मजहबी घुन खोखला कर रहा उन्हें पता ही नहीं चल रहा।
अमीर सुबहानी का चेहरा देखेंगे आप एकदम से डर जाएंगे। आपको लगेगा नहीं कि वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। चेहरे से कोई हाफिज मोअज्जिन नजर आएंगे। मूंछें साफ और दाढ़ी लंबी लंबी। गृहमंत्री भले स्वयं नीतीश कुमार रहे हों, लेकिन गृह सचिव विगत 13 वर्ष पहले अमीर सुबहानी ही नियुक्त हुए। उसके बाद जब जब चुनाव हुआ, चुनाव आयोग उन्हें गृह सचिव पद से बार-बार हटाते रहा, लेकिन जैसे ही नीतीश कुमार कुर्सी संभालते फिर से उन्हें गृह सचिव बना देते।
ऐसा उदाहरण भारत भर में किसी राज्य में देखने को नहीं मिलेगा कि सत्ता के साथ विपक्ष के सुर यहां पर मिले हुए हैं। जब सत्ता में सहयोगी दल भाजपा ने उस एसएसपी को सस्पेंड करने की मांग की, तब विपक्ष सरकार के समर्थन में आकर खड़ा हो गया। तनिक सोचिए। बिहार में सत्ता भले पक्ष या विपक्ष की हो जाय, लेकिन अमीर सुबहानी तो 2024 तक सेवा में बनेरहेंगे। पुर्व उपराष्ट्रपति हमीद अंसारी से लेकर पंचर बनाने वाला अब्दूल तक का रक्त कितना दूषित है वह बताने की आवश्यकता नहीं।
हमीद अंसारी देश से साथ गद्दारी करता है तो अब्दुल अपनी दुकान में 11 वर्ष की हिन्दू बालिका के साथ दुष्कर्म करते पकड़ा जाता है। अभी जिसकी है अथवा फिर बदल जाए, क्या फर्क पड़ता है? सरकार तो सिस्टम से चलता है न। नीतीश कुमार के सीएम रहते ही बिहार में कभी एनडीए की सरकार रही तो कभी महागठबंधन की भी, लेकिन गृह सचिव बिहार के हमेशा रहे अमीर सुबहानी।