फ्रांसिस जेवियर,नोबिली ,चार्ल्स ग्रांट और मैकाले हिन्दुओं के ईसाइयत में कन्वर्जन के कारक
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भारत में ईसाइयों के इतिहास की बात की जाए तो चार शख्स की भूमिका बड़ी अहम रही है – पहले फ्रांसिस ज़ेवियर (७ अप्रैल १५०६ -३ दिसंबर १५५२ ) रोबर्ट दी नोबिली (१६०६ ) , चार्ल्स ग्रांट और मैकाले । वर्ष १४९८ में वास्को-डी-गामाके नेतृत्व में पुर्तगालियोंने हिंदुस्थानकी धरती पर पैर रखा एवं ईसाइयोंके साम्राज्यवादी मत की राजकीय यात्रा आरंभ हुई । वास्को-डी-गामा के ठीक पीछे ईसाई मत का प्रचार करनेवाले मिशनरी भारत आए । फिर तो ‘व्यापारिक दृष्टिकोणसे राज्यविस्तार’ की अपेक्षा ‘ईसाई धर्म का प्रचार’, ही पुर्तगालियोंका प्रमुख ध्येय बन गया । इससे कन्वर्जन की प्रक्रिया आरंभ हुई जिसे चार्ल्स ग्रांट और मैकाले ने आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
वास्को डी गामा के आने के तुरंत बाद १५४२ में पुर्तगाल के किंग जॉन द्वितीय ने हिंदुओंके ईसाईकरण हेतु सेंट जेवियर नामक मिशनरी को भेजा । उसके आगमन के पश्चात् गोवा में हिंदु धर्मांतरण करें, इसके लिए उनपर ईसाई मिशनरियों ने अनन्वित अत्याचार किए गए। उसके आगमन के पश्चात् गोवा में हिन्दुओं पर कन्वर्ट होकर ईसाई बनने का दबाव बढ़ाया जाने लगा और कन्वर्जन के लिए उनपर ईसाई मिशनरियों ने अनगिनत अत्याचार किये । १५६० में पोप के आदेशपर ईसाई साम्राज्य बढाने के उद्देश्यसे पुर्तगालियों की सेना गोवा पहुंची । उसने धर्मांतरण न करनेवाले हिंदुओं पर भयंकर अत्याचार करते हुए हजारों हिंदुओं को मार डाला ।
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पुर्तगालियों द्वारा हिंदुओं के कन्वर्जन हेतु किये अत्याचारों के प्रतिनिधिक उदाहरण -: ‘१५६० में पोप के आदेश पर ईसाई साम्राज्य बढाने के उद्देश्यसे पुर्तगालियों की सेना गोवा पहुंची । उसने कन्वर्ट न करनेवाले हिंदुओं पर भयंकर अत्याचार करते हुए हजारों हिंदुओं को मार डाला ।कन्वर्जन न करने वाले इन हिंदुओं को एक पंक्ति में खडा कर उनके दांत हथौडी से तोडना,उन्हें फांसी देना ,उनकी संपत्ति जब्त करना,बच्चों व् स्त्रियों का बलात्कार ,हजारो मंदिर तोडना हिंदुओं पर हुए अत्याचारों के प्रातिनिधिक उदाहरण है ।
सेंट जेवियर स्वयं कन्वर्जन कराने की पद्धति के संदर्भ में कहता है -“‘एक माह में मैंने त्रावणकोर राज्यमें १० हजार से अधिक पुरुषों, स्त्रियों एवं बच्चों को धर्मांतरित कर उनके पुर्तगाली नाम रखे । बप्तिस्मा देने के (ईसाई होनेके समय प्रथम जल व दीक्षा-स्नान, नामकरण संस्कार के) पश्चात् मैंने इन नव-ईसाइयों को अपने पूजाघर नष्ट करनेका आदेश दिया । इस प्रकार मैंने एक गांव से दूसरे गांव में जाते हुए लोगोंको ईसाई बनाया ।”
(क्रमशः)