इंटेलिजेंस ब्यूरो तथा रिसर्च एन्ड एनालिसिस विंग की सेवाओं से अवकाशप्राप्त करने के बाद मैसूर में रह रहे आर एन कुलकर्णी को ,बीते चार नवंबर को एक कार से कुचल कर मार डाला गया ।इस्लामी आतंकवाद और जेहाद की पोल खोलनेवाली ‘Facets of terrorism in India’ सहित तीन महत्वपूर्ण पुस्तकें लिखने के कारण वे कट्टरपंथी इस्लामियों की हिट लिस्ट में थे। अवकाशप्राप्त करने के बाद महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील विषयों पर काम करनेवाले अधिकारियों की ह्त्या की यह पहली घटना नहीं है इससे पहले राष्ट्रद्रोहियों ने जनरल अरुण श्रीधर वैद्य की पुणे में ह्त्या की थी और भारतीय सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल के एस बरार पर लंदन में गोलियां बरसाई जा चुकी हैं।
आरएस कुलकर्णी (83) शुक्रवार शाम गंगोत्री (मैसूर विश्वविद्यालय) परिसर में कंप्यूटर विज्ञान विभाग के बगल में सड़क पर चल रहे थे, जब एक कार ने उन्हें सामने से आकर कुचल कर मार दिया । मैसूर के पुलिस आयुक्त चंद्रगुप्त ने कहा, “हमें सूचना मिली थी कि शुक्रवार शाम 5.30 बजे एक दुर्घटना हुई थी, जिसमें एक 83 वर्षीय व्यक्ति की कार की चपेट में आने से मौत हो गई थी।” पूर्व आईबी अधिकारी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन वह नहीं बच पाए। शुरू में, पुलिस ने सोचा कि यह एक हिट-एंड-रन का मामला था, लेकिन क्लोज-सर्किट टेलीविजन (सीसीटीवी) फुटेज देखने से पता चला कि यह एक हत्या थी। हादसे में शामिल कार बिना नंबर प्लेट के थी।कुलकर्णी 23 साल पहले इंटेलिजेंस ब्यूरो में 35 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने ‘भारत में आतंकवाद के पहलू’ सहित तीन किताबें लिखीं, जिसका विमोचन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया था। अपने शुरुआती दिनों में, वह एक शिक्षक थे और बाद में भारत सरकार के साथ एक गुप्त सेवा एजेंट बन गए।