श्रद्धा वालकर हत्याकांड की पुनरावृति रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार करेगी अंतरपंथीय-अंतर्जाति विवाह की निगरानी
बाल एवं महिला कल्याण मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति का गठन
श्रद्धा वालकर हत्या समान घटनाएं रोकने हेतु अलग पंथ और जाति में हुए विवाह (Inter religion and Inter Caste marriages) की निगरानी के लिए महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) ने “इंटरकास्ट/इंटरफेथ मैरिज-फैमिली कोऑर्डिनेशन कमेटी (राज्य स्तर)” नाम से राज्य के बाल एवं महिला कल्याण मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा की अध्यक्षता में तेरह सदस्यीय एक समिति का गठन किया है। राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मंगलवार (13 दिसंबर, 2022) को जारी एक प्रस्ताव के अनुसार यह पैनल इस तरह के विवाह से जुड़ी सभी जानकारी इकट्ठा करेगी और इसका भी पता लगाएगी कि लड़की का परिवार इन शादियों में शामिल है या नहीं। उल्लेखनीय है कि गत 19 नवंबर को, मंत्री श्री लोढ़ा ने राज्य महिला आयुक्त को निर्देश दिया था कि वे उन महिलाओं की पहचान करने के लिए एक विशेष दस्ते का गठन करें, जिन्होंने अपने मायके के परिवारों के समर्थन के बिना शादी की है, और आवश्यकता पड़ने पर समर्थन और सुरक्षा की मांग की है।
सनद रहे ,महाराष्ट्र की रहने वाली 26 वर्षीय श्रद्धा वालकर की दिल्ली में उसके लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला ने हत्या कर दी थी। उसकी हत्या के बाद आफताब ने श्रद्धा के शव के 35 टुकड़े करके फ्रीज में रख दिए और इन्हें रोजाना रात को जंगल में अलग-अलग जगहों पर फेंका।श्रद्धा अपने परिजनों की मर्जी के खिलाफ आफताब के साथ रह रही थी। श्रद्धा की क्रूरतापूर्ण हत्या के बाद आफताब के इस बयान ने पूरे देश को सन्न कर दिया था कि उसको श्रद्धा की हत्या का कोई दुःख नहीं है क्योंकि अगर फांसी हो गयी तो भी उसको जन्नत में ७२ हूरें मिलेंगीं।
तीसरे नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार देश में करीब 11 फीसदी विवाह अंतरजातीय होते हैं जबकि अंतरधार्मिक विवाहों का प्रतिशत 2 फीसदी है।लव जिहाद के कारण भारत की ही नहीं; अपितु भारत के बाहर की हिन्दू एवं सिख युवतियों का भी धर्मांतरण हुआ है, जिससे हिन्दू परिवार व्यवस्था पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ा है।हमारे देश में “विशेष विवाह अधिनियम” जैसा कानून है जिसके अंतर्गत किसी भी धर्म को मानने वाले लड़का और लड़की विधिवत विवाह कर सकते हैं। अक्टूबर 2017 में इंडियन एक्सप्रेस में एक और खबर प्रकाशित हुई थी जिसके अनुसार पुणे के पांच छात्रों ने’ अंतर-जाति व अंतर-धर्म विवाह संरक्षण और कल्याण अधिनियम, 2017’के नाम से कानून का एक ड्राफ़्ट तैयार किया था जिसका मकसद किसी दूसरी जाति या धर्म के व्यक्ति से शादी करने वाले लोगों की रक्षा करना है।
महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित “इंटरकास्ट/इंटरफेथ मैरिज-फैमिली कोऑर्डिनेशन समिति, जिला स्तर पर किए जा रहे कामों की निगरानी करेगी। ऐसे विवाहों में शामिल उन महिलाओं की निगरानी की जाएगी, जो अपने मायके से अलग हो सकती हैं, ताकि उन्हें आवश्यकता पड़ने पर सहायता प्रदान की जा सके।प्रस्ताव के अनुसार,इससे ऐसी महिलाओं और उनके परिवारों को परामर्श प्राप्त करने, संवाद करने या मुद्दों को हल करने के लिए एक मंच उपलब्ध होगा। समिति को केंद्र और राज्य स्तर पर नीतियों का अध्ययन करने, कल्याणकारी योजनाओं और मुद्दों के बारे में कानूनों का अध्ययन करने तथा सुधार एवं समाधान खोजने के लिए बदलाव का सुझाव देने का भी काम सौंपा गया है।प्रस्ताव में कहा गया कि समिति में 12 अन्य सदस्य होंगे जो सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्रों से लिए जाएंगे। एक बार इसका कार्य पूरा हो जाने के बाद समिति को भंग कर दिया जाएगा।
यह पैनल अंतर-धार्मिक शादी वाले कपल के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर शिकायतों पर गौर करेगा. यह समिति केवल तभी सहायता करेगी जब उसे कोई शिकायत या सहायता के लिए अनुरोध प्राप्त होगा। इसके साथ ही सरकार माता-पिता और बच्चों दोनों को उनकी शिकायतों के साथ मदद करने के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी करेगी। इस सम्बन्ध में मंत्री श्री लोढ़ा ने कहा कि हम नहीं चाहते कि बच्चे अपने माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध किसी से विवाह करने के बाद अपने परिवार से कटे रहें। यह पैनल यह सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया है कि भविष्य में श्रद्धा वालकर जैसे मामले न हों।
महाराष्ट्र सरकार की यह पहल स्वागत योग्य है क्योंकि इससे बेटियों की रक्षा हो सकेगी जो पहचान छिपाकर किये ‘लव जेहाद’ की शिकार हो जाती है या जो जान- पहचान से उत्पन्न भरोसे पर शादी करने के बाद भी प्रताड़ित की जाती है। इससे सरकार के पास अंतरपंथीय एवं अंतर्जातीय विवाह का डेटा होगा कि किस बच्ची ने किससे विवाह किया है और उनका अतीत क्या रहा है।इसमें यह पता करना सरल होगा कि लड़की किसी दवाब या विवशता के कारण तो अनचाहे विवाह को नहीं ढ़ो रही है।अगर हाँ तो सरकार उसको किस तरह की सहायता दे सकती है यह निर्धारित करना भी सहज होगा। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष 20000 हज़ार लड़कियां लवजेहाद का शिकार होती हैं और उनमें मात्र 1 % ही पुलिस से सहायता मांग पाती हैं।
इसमें हमारा सुझाव होगा कि समाज की भावना का मान रखते हुए सरकार द्वारा अंतरपंथीय और अंतर्जातीय विवाह को कम -से -कम दस वर्षों तक निगरानी में रखा जाना चाहिए ताकि बच्चियों की विवाहोपरांत की जानेवाली हत्याओं पर रोक लगे तथा हम ‘श्रद्धा वालकरों ‘ को अन-अपेक्षित मृत्यु से बचा सकें। इसके साथ ही अगर महाराष्ट्र की हिंदुत्ववादी सरकार ‘लवजेहाद विरोधी कानून’ लाती है तो वह भविष्य में किसी बच्ची को श्रद्धा वालकर की नियति होने से बचाने का सुदृढ़ आधार होगा।