जीवनामृत है तुलसी का पौधा
जिसे आमतौर पर तुलसी के रूप में जाना जाता है, लैमियासी परिवार का एक सुगंधित बारहमासी पौधा है। तुलसी के पारंपरिक उपयोग का भारत में एक लम्बा इतिहास है और बहुत रोगों से लड़ने की क्षमता होने के कारण इसे ‘क्वीन ऑफ हर्ब्स’ भी कहा जाता है।फायदे: तुलसी को आयुर्वेद की प्राचीन संहिताओं चरकसंहिता, सुश्रुतसंहिता और ऋग्वेद जिनका समय कम से कम 3500-1600 ईसा पूर्व माना जाता है, में खांसी, श्वसन संबंधी विकार, विषाक्तता और गठिया के इलाज के लिये औषधि के रूप में वर्णित किया गया है। साथ ही आचार्य भावमिश्र ने भावप्रकाश के पुष्पवर्ग में तुलसी के गुणों का वर्णन किया है:
तुलसी सुरसा ग्राम्या सुलभा बहुमञ्जरी।
अपेतराक्षसी गौरी भूतघ्नी देवदुन्दुभिः॥
तुलसी कटुका तिक्ता हृद्योष्णा दाहपित्तकृत्।
दीपनी कुष्ठकृच्छ्रास्रपार्श्वरुक्कफवातजित्।
शुक्ला कृष्णा च तुलसी गुणैस्तुल्या प्रकीर्तिता।
तुलसी पर हुए कई शोध बताते हैं कि, तुलसी का नियमित सेवन करने से सामान्य स्वास्थ्य, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, दैनिक जीवन के तनावों को कम करने, खांसी, अस्थमा, बुखार, गठिया, नेत्र रोग, अपच, उल्टी, पेट की परेशानियों, हृदय रोग, त्वचा रोग, गिंगिवाइटिस और मसूढ़ों की सूजन सहित कई अन्य बिमारियों में फायदा मिलता है। तुलसी में कफ एवं वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण भी होते हैं। (Cohen 2014, Jackson, 2018, Wong 2020, Maiti 2020)।
तुलसी के फायदे (Tulsi ke Fayde)
- तुलसी के पौधे के आस-पास सकारात्मक ऊर्जा होती है
- तुलसी में एंटीबायोटिक, एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं.
- नैचुरल इम्यूनिटी बूस्टर तुलसी विटामिन सी और जिंक से भरपूर होती है। …
- सर्दी, खांसी और को कम करता है …
- कैंसर रोधी गुण …
- त्वचा और बालों के लिए होती है सही …
- ओरल हेल्थ के लिए है बेहतरीन …
- तनाव और थकान होती है कम …
- हिन्दू पुराणों में तुलसी का काफी महत्व बताया गया है.
- गरुड़ पुराण में तुलसी के पौधे की कई विशेषताएं बताई गई है.
*मान्यता है कि भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा तुलसी के बिना अधूरी मानी जाती है. कहा जाता है - तुलसी दल का भोग हनुमान जी को लगाया जाता है. हनुमान जी को तुलसी अति प्रिय है.
- मृत्यु के समय तुलसी को गंगा जल के साथ देने कि प्रथा है
- तुलसी का पौधा घर में होने से घर का वातारण शुद्ध होता है
*तिरुपति के एस.वी. विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार तुलसी का पौधा उच्छवास में ओजोन वायु छोड़ता है। - आभामंडल नापने के यंत्र यूनिवर्सल स्केनर के माध्यम से तकनीकी विशेषज्ञ श्री के.एम. जैन द्वारा किए परीक्षण में पता चला कि कोई व्यक्ति तुलसी के पौधे की 9 परिक्रमा करे तो उसका आभामंडल का प्रभाव क्षेत्र 3 मीटर तक बढ़ सकता है।
तुलसी के पत्तों, जड़, तने और बीजों का औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। इसके पत्तों को रोज सुबह खली पेट खा सकते हैं तथा इसके बीजों का चूर्ण बनाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, तुलसी के पत्तों को कभी चबाना नहीं चाहिए बल्कि निगल लेना चाहिए। यदि निगने में मुश्किल होती है तो हाथ से उन पत्तों के छोटे टुकड़े कर लें या फिर पत्तों को गोल लपेटकर सिर्फ आगे के कृतंक दांतों से सिर्फ एक कट लगाकर निगल जाए। तुलसी के पत्ते को चाय की तरह उबालकर क्वाथ पीने सर्दी-जुकाम में फायदा होता है। वयस्क 3 – 5 पत्ते प्रतिदिन और बच्चे (3 साल से बड़े) 2- 3 पत्ते प्रतिदिन (Jackson, 2018)।
हालांकि तुलसी बिना किसी साइड इफेक्ट के कई चीजों में लाभकारी होती है, लेकिन इसके अत्यधिक सेवन से कुछ परेशानियां भी हो सकती हैं। इसीलिए इसे ध्यान से खाये जैसे कि, गर्म तासीर की होने के कारण तुलसी का अत्यधिक सेवन पेट में जलन पैदा कर सकता है। यदि किसी की कोई सर्जरी हुई है या होने वाली है तो तुलसी का सेवन नहीं करना चाहिए। तुलसी खून पतला करती है, जिसकी वजह से सर्जरी के दौरान या बाद में ब्लीडिंग का खतरा बढ़ सकता है। डायबिटीज़ की दवा खा रहे लोगों को तुलसी नहीं खानी चाहिए क्योंकि इससे ‘ब्लड शुगर’ लेवल कम होता है।
तुलसी में पोटेशियम की मात्रा अधिक होने के कारण ‘लो ब्लड प्रेशर’ में इसे नहीं खाना चाहिए। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि, लंबे समय तक नियमित रूप से तुलसी के पत्तों का सेवन करने से यूजेनॉल (eugenol) की उपस्थिति के कारण लीवर और उसकी कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है। इसलिए औषधि का सेवन सही मात्रा में करें। (TOI 2021, Indian.com 2021, Jackson, 2018)।
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