भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में तेल की कीमतों में 51.7% की बढ़ोत्तरी हुई है। तेल के नए दाम शनिवार (6 अगस्त, 2022) से लागू कर दिए गए हैं। माना जा रहा है कि वहाँ की सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम से देश में सब्सिडी का बोझ कम होगा। लेकिन इस से पहले ही उच्च स्तर पर चल रही मुद्रास्फीति पर और अधिक दबाव आएगा। कुल मिला कर इस बढ़ोत्तरी से पहले से ही महँगाई की मार झेल रहे बांग्लादेशियों पर बोझ और अधिक बढ़ेगा। इस कदम के बाद अब इस बात की भी चर्चाएँ होना शुरू हो गईं हैं कि कहीं बांग्लादेश का भी हाल श्रीलंका जैसे तो नहीं होने वाला।
IMF से माँग रहा कर्ज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आर्थिक संकट से जूझ रहे बांग्लादेश ने कुछ समय पहले ही विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से दो अरब डॉलर कर्ज माँगा है। इसके अलावा बांग्लादेश द्वारा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से भी साढ़े 4 अरब डॉलर का कर्ज माँगने का दावा किया जा रहा है। कुछ समय पहले बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था 416 अरब डॉलर हो गई थी और तेजी से बढ़ भी रही थी, लेकिन अब उस उस पर आर्थिक संकट आ गया है।
चीन के कर्ज के जाल में फँसा बांग्लादेश
एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन ने बांग्लादेश को अपने कर्ज के जाल में फँसा लिया है। चीन के मालिकाना हक वाली 4 कंपनियों ने हाल ही में बांग्लादेश के चटगाँव में एक जमीन पर स्मार्ट सिटी बनाने और मेट्रो रेल परियोजना लगाने का प्रपोजल दिया। इस पूरे प्रपोजल में अधिक फायदे का हिस्सा चीनी कंपनियों ने अपने पास रखा है। एक्सपर्ट के मुताबिक चीन की स्मार्ट सिटी परियोजना से पर्यावरण को नुकसान पहुँचेगा।
बांग्लादेश को भारत के एक अन्य पड़ोसी देश श्रीलंका के हालातों से सबक लेना चाहिए था। हाल के वर्षों में बांग्लादेश वैश्विक मुद्रास्फीति (Inflation) और सप्लाई चेन में विपरीत प्रभावों से भी जूझा है। इसी बीच यूक्रेन में युद्ध हुआ जिसका बांग्लादेश पर बुरा असर पड़ा। वहाँ तेल की बढ़ती कीमतें बढ़ीं। अब्दुल्लाह सिबली नाम के एक अमेरिका अर्थशास्त्री ने बांग्लादेश के असुरक्षित व डाँवाडोल आर्थिक भविष्य पर चिंता प्रकट की है।