माघ महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती मनायी जाती हैं। इस दिन को माघी गणेश चतुर्थी, माघ विनायक चतुर्थी या दक्षिण भारत मैं तिलकुंड चतुर्थी भी कहा जाता है।
वहीं, प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है।
विघ्नहर्ता को समर्पित गणेश जयंती तिथि सनातन धर्म में बहुत विशेष मानी गई है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
माघी गणेश जयंती या गणेश जयंती हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाई जाती है। यह तिथि विघ्नहर्ता गणेश को समर्पित है। इस दिन विधि अनुसार भगवान गणेश की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर श्री गणेश का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती ने उबटन से एक बालक की आकृति बनाई थी और उसकी प्राण प्रतिष्ठा की थी। जिसके बाद यह बालक विघ्नहर्ता भगवान गणेश कह लाए थे।
इस दिन मध्याह्न मुहूर्त में गणेश जी की पूजा की जाती है। वहीं, पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश अपनी मां माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत से धरती पर आए थे। इसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।
गणेश जयंती पर लोग विधि अनुसार भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दिन गणेश मंदिर के भी दर्शन किए जाते हैं। इस तिथि पर की गई गणेश पूजा अत्याधिक लाभ देने वाली होती है। अग्निपुराण में भी भाग्य तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए तिलकुंड चतुर्थी के व्रत का विधान बताया गया है.
दक्षिण भारत मैं तिलकुंड चतुर्थी::
माघी गणेश चतुर्थी, दक्षिण भारत मैं तिलकुंड चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन विशेष तोर पर तिल के लड्डूओ का प्रसाद होता है। तथा तिल मिश्रित जल से स्नान की परंपरा इस प्राचीन परंपरा के पीछे आस्था और आहार का एक सुनियोजित विज्ञान समाहित है। धर्म शास्त्रों में तिल को देवान्न की संज्ञा दी गयी है। मत्स्य, पद्म और ब्रहन्नारदीय पुराण में तिल से जुड़े पाशुपत, सौभाग्य और आनंद व्रत बताये गये हैं। शिव पुराण में तिल दान और तिल मिश्रित जल के स्नान से शारीरिक, मानसिक पापों से मुक्ति मिलने की बात कही गयी है।
तिल की वैज्ञानिक उपयोगिता भी परीक्षणों में साबित हो चुकी है। तिल एक बेहतरीन एंटीआक्सीडेंट है। साथ ही इसमें कापर, मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, विटामिन और फाइबर भरपूर मात्रा में होता है जो हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में अत्यंत सहायक होते हैं। तिल के तेल से मालिश से हड्डियां मजबूत होती हैं और त्वचा में चमक आती है। माघ माह में शीत ऋतु होती है, इस तथ्य से हमारे ऋषि-मुनि भलीभांति अवगत थे, इस कारण इस अवधि में पडऩे वाले पर्वों में उन्होंने शरीर को गर्माहट व ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थों के सेवन की परंपरा बनायी थी। लोकपर्व पर तिल के लड्डू के प्रसाद के पीछे भी यही वैज्ञानिक आधार है।
भगवान गणेश अपने भक्तों के सभी दुख और कष्ट हर लेते हैं इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है। गणेश जयंती पर लोग व्रत रखकर भगवान को प्रसन्न करते हैं।