रामलला के जन्मोत्सव में इस वर्ष करीब 20 लाख तक श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है।ऐसे में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और स्थानीय प्रशासन सतर्क हो गया है। रामनवमी के 3 दिन पहले से ही अयोध्या राम भक्तों की भीड़ बढ़ने लगी है जिसके लिए अयोध्या में रामनवमी के मौके पर प्रशासन की तैयारियां जोरों पर हैं। श्रीरामजन्म भूमि पर रामलला की दर्शन अवधि तीन घंटे बढ़ा दी गई है।श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की प्राथमिकता है कि आयोजन सफलतापूर्व हो और हर रामभक्त रामलला का भव्य दर्शन कर सके।रामनवमी के मौके पर तीर्थ यात्री सरयू स्नान कर नागेश्वर नाथ, हनुमानगढ़ी, कनक भवन एवं श्रीराम जन्म भूमि आदि प्रमुख मंदिरों दर्शन-पूजन करते हैं। मेले में शांति-व्यवस्था, विधि व्यवस्था तथा भीड़ नियंत्रण के लिए सुपर जोनल, जोनल, सेक्टर, स्टेटिक मजिस्ट्रेट को निर्देशित किया गया है।
श्रद्धालुओं के लिए रामलला की दर्शन अवधि में बदलाव 3 अप्रैल से किया गया है। सुबह 6:00 बजे से भक्त रामलला का दर्शन कर सकेंगे, जोकि शाम 7:30 बजे तक चलेगा।नए समय सारिणी के अनुसार प्रथम पाली में सुबह 6:00 से 11:30 बजे तक, द्वितीय पाली में दोपहर 2:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक रामलला का श्रद्धालु रामलला का दर्शन कर सकेंगे। सामान्य दिनों में दर्शन सुबह 7:00 बजे से 11:00 बजे तक प्रथम बेला में और द्वितीय बेला में दोपहर 2:00 बजे से 6:00 बजे तक किया जा रहा है।रामलला के जन्मोत्सव में इस वर्ष करीब 20 लाख तक श्रद्धालुओं के जुटने की उम्मीद है। ऐसे में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और स्थानीय प्रशासन सतर्क हो गया है। जानकारी के अनुसार 10 अप्रैल को रामनवमी के 3 दिन पहले से ही अयोध्या राम भक्तों से पट जाएगी।
चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था। रामनवमी को प्रतिवर्ष भगवान श्रीराम का प्रगटोत्सव बड़े धूमधाम से संपूर्ण देश में मनाया जाता है।श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य आचार्य कुणाल किशोर ने बताया कि अयोध्या में भगवान श्रीरामचन्द्र के जन्मोत्सव रामनवमी के अवसर पर सदियों से भक्तों की भीड़ लाखों में जुटती रही है। जब देश की आबादी आज के अनुपात में बहुत कम थी, तब इतनी भारी संख्या में भक्तों का आना इस तथ्य का प्रमाण है कि राम हर काल और हर क्षेत्र में शिखरता के सोपान पर विराजमान रहे हैं। यहां उस भीड़ का संक्षिप्त विवरण देखते हैं, जो सरकारी दस्तावेजों या प्रामाणिक वृत्तांतों में उपलब्ध है।
1. सन 1908 में आक्सफोर्ड से ब्रिटिश सरकार की ओर से प्रकाशित इम्पिरियल गजेटियर ऑफ इंडिया में कहा गया है- ‘अयोध्या में तीन बड़े मेले लगते हैं, रामनवमी के अवसर पर मार्च-अप्रैल में, सावन में झूलन के अवसर पर जुलाई-अगस्त में और कार्तिक परिक्रमा के अवसर पर अक्टूबर-नवम्बर के दौरान।’ इन मेलों में चार लाख की भीड़ तो मामूली-सी बात है। किन्तु इस साल रामनवमी के अवसर पर यह भीड़ दस लाख लोगों की थी।
2. 1891 में लंदन से पर्यटकों के लिए प्रकाशित पुस्तक ‘पिक्चरस्क्यू इंडिया : ए हैंडबुक फॉर यूरोपियन ट्रैवलर्स’ में लेखक डब्लु. ए. कैन ने लिखा है- ‘अयोध्या में अनेक मन्दिर-मठ हैं। वहां महान पर्व रामनवमी के अवसर पर चार लाख से अधिक भक्त दर्शन के लिए आते हैं।’
3. 1881 ई० में डब्लु. डब्लु. हंटर ने इम्पिरियल गजेटियर ऑफ इंडिया में यह जानकारी दर्ज की- ‘यहां स्थानीय व्यापार कम होता है; लेकिन रामनवमी के महान पर्व में, जो हर वर्ष मनाया जाता है, पांच लाख लोग भाग लेते हैं।’
4. 1879 में नेशनल रिपोजिट्री नाम की आधिकारिक संस्था ने ये जानकारी दी कि- ‘महानपर्व रामनवमीं, जो हर साल मनाया जाता है, अभी समाप्त हुआ है। इसमें देश भर से करीब दस लाख लोग आए।’
5. 1859 में रामनवमी के अवसर पर महाराष्ट्र के विष्णु भट्ट गोडसे वर्सेकर अयोध्या आए थे। उन्होंने अयोध्या का विस्तृत विवरण लिखा है। 10 अप्रैल, 1859 के वृत्तांत में वे लिखते हैं – ‘रामनवमी में अभी कुछ दिन शेष बचे हैं। लेकिन अनुमान है कि सात से आठ लाख भक्त अयोध्या पहुंच चुके हैं। रामनवमी पर जनसैलाब के बारे में वे लिखते हैं कि आज कितनी उपस्थिति है, कहना मुश्किल है। यह कल्पनातीत है। किन्तु वे यह बतलाते हैं कि अधिकांश तीर्थयात्री दूर-दूर से आए और अलग-अलग भाषा बोलते थे; भाषा अलग थी, लेकिन भगवान् राम के प्रति श्रद्धा ने सबको प्रेम के सूत्र में बांध रखा था।’
सदियों से अयोध्या में रामनवमी के अवसर पर राम भक्तों की अपार भीड़ होती है, भक्तों की संख्या चार लाख से दस लाख के बीच में होती थी। ये तादाद कहती है कि प्रभु श्रीराम का ख्याति कितनी थी।सन 1631 में इटली के जोन्स डी लेट, 1634 में इंग्लैंड के थामस हर्बट और ऑस्ट्रेलिया के जोसेफ टिफेनथेलर ने रामनवमी का वर्णन करते हुए लिखा है कि इस पावन अवसर पर देश के हर हिस्से से भारी संख्या में भक्त आते हैं; किन्तु उन्होंने भक्तों की भारी भीड़ की संख्या नहीं बतलाई है। सोलहवीं सदी में इतिहासकार अबुल फजल ने भी 1580 ई० के आस-पास ‘आइने-अकबरी’ में लिखा है- ‘चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अयोध्या में विशाल धार्मिक मेला होता है जो विष्णु के सप्तम अवतार राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।’
लगभग 500 वर्षों के अन्तराल के बाद अयोध्या में राम जन्मभूमि पर रामलला का मंदिर फिर से बनने जा रहा है। इन 500 वर्ष के दौरान भारत की करीब 25 पीढिय़ों ने राम मंदिर के मुद्दे पर देश के संघर्ष को देखा। यह केवल एक मंदिर का निर्माण नहीं है, अपितु राष्ट्रीय स्वाभिमान के जागरण का उद्घोष भी है। श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ ही देश को दुनिया के सामने एक समर्थ शक्तिशाली एवं समृद्ध भारत के रूप में विख्यात हो जाएगा ।
राम नवमी का शुभ मुहूर्त 2022
राम नवमी तिथि- 10 अप्रैल 2022, रविवार
नवमी तिथि प्रारंभ – 10 अप्रैल को देर रात 1:32 मिनट से शुरू
नवमी तिथि समाप्त- 11 अप्रैल को सुबह 03:15 मिनट पर तक
पूजा का मुहूर्त- 10 अप्रैल को सुबह 11: 10 मिनट से 01: 32 मिनट तक
राम नवमी पूजा-
राम नवमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें। फिर परिवार के सभी लोग भगवान श्री राम, लक्ष्मण और मां सीता की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा से पहले इन्हें कुमकुम, सिंदूर, रोली, चंदन, आदि से तिलक लगाएं और बाध में चावल और तुलसी अर्पित करें।राम नवमी के दिन भगवान विष्णु के अवतार श्री राम को तुलसी अर्पित करने से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। पूजा में देवी-देवताओं को फूल अर्पित करें और मिठाई का भोग लगाएं।फिर घी का दीपक और धूपबत्ती जलाकर श्री रामचरित मानस , राम रक्षा स्तोत्र या रामायण का पाठ करें।श्री राम, लक्ष्मण जी और मां सीता को झूला झुलाने के बाद उनकी आरती करें और लोगों में प्रसाद वितरण करें।