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फिल्मों के माध्यम से संस्कृत भाषा का प्रसार देश व संस्कृति के लिए अनुकूल – दिग्पाल लांजेकर
‘जनमानस को आकार देने के लिए फिल्म एक बहुत ही प्रभावी माध्यम है। संस्कृत ईश्वर की भाषा है, ज्ञानविज्ञान की भाषा है। इसका…
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फ़िल्म के वैचारिक पक्ष पर चिंतन नहीं होता, सिनेटॉकीज़ के माध्यम से हम इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। – अभिजीत दादा गोखले
‘सिनेटॉकीज़’ पोस्टर चतुर्थ चित्रभारती फ़िल्म महोत्सव में लाँच १३ और १४ मई २०२२ को मुंबई विश्वविद्यालय, कलीना कैम्पस में होगी संगोष्ठी…
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